Essay on Examination in Sanskrit
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परीक्षा इति विषये संस्कृते निबन्धः।
परीक्षा प्रत्येकस्य छात्रस्य प्रत्येकस्याः छात्रायाः च जीवनस्य अभिन्नः भागः अस्ति। इच्छा अस्ति वा न, परीक्षा तु लेखनीया एव।
बहुभ्यः छात्रेभ्यः छात्राभ्यः च परीक्षा न रोचते। केचन तु परीक्षायाः बिभ्यति। नैकेभ्यः परीक्षायै करणीयः अभ्यासः न रोचते। अतः एव बहवः छात्राः अप्रसन्नमनसा परीक्षां लिखन्ति। अनेन तेषां परीक्षायां नैकाः समस्याः जायन्ते।
सत्यम् अस्ति यत् परीक्षा छात्राणां लाभाय अस्ति। परीक्षा छात्रस्य/छात्रायाः बुद्धिं मापयति। अतः परीक्षा महत्त्वपूर्णा अस्ति।
दशमकक्षायाः द्वादशकक्षायाश्च विविधाः परीक्षाः जीवनाय भविष्याय च महत्त्वपूर्णाः सन्ति। परं प्रत्येकपरीक्षा सम्पूर्णनिश्चयेन सङ्कल्पेन च लेखनीया।
परीक्षाम् उत्तमेन प्रकारेण लेखितुं, प्रथमं तु अभ्यासः उत्तमः भवेत्। परिक्षासमये च अवधानं विचलितं मा भवेत्। अकापट्यं सत्यवादित्वं च परीक्षासफलतायै प्रधाने स्तः।
अन्ते, कस्मिन् अपि कार्ये सफलतां प्राप्तुं परिश्रमः कर्तव्यः। अतः परीक्षा भवेत्, वा अन्यं कार्यं, वयं सर्वम् उचितम् एव कुर्याम।
Essay on Examination
Examinations are an inseparable part of all students’ academic life. Whether willing or not, exams must be given by students.
Many students dislike exams. Some are even afraid of them. Often, many find the prospect of the studies for exams unappealing. As a result, many students write their exams with an unhappy mindset. This inevitably leads to many problems during the exam-writing.
The truth is that exams are for the good of students. Exams are used to measure the intelligence of a student. So, exams are quite important.
The various exams of the tenth and twelfth grades are especially important. However, all exams must be given with full resolve and determination.
To write an exam well, we first need to first have properly studied. Our attention must also not be diverted during exam-time. Honesty and integrity are especially key to success in exams.
In the end, the success of a task depends on the hard work. So, be it an exam, or any other work, we must always do everything the proper way.
परीक्षा पर निबंध
परीक्षा प्रत्येक छात्र और छात्रा के जीवन का अभिन्न भाग होती है। इच्छा हो या नहीं, परीक्षा देना अनिवार्य होता है।
अनेक छात्रों को और छात्राओं को परीक्षा पसंद नहीं होती। कुछ छात्र तो परीक्षा से डरते हैं। अनेक छात्रों को परीक्षा के लिए किया जाने वाला अभ्यास पसंद नहीं होता। इसलिए अनेक छात्र परीक्षा उचित मनःस्थिति से नहीं लिखते। इससे उन्हें परीक्षा में अनेक समस्याएँ आती हैं।
सत्य तो है कि परीक्षा छात्रों के लाभ के लिए है। परीक्षा छात्र/छात्रा के बुद्धि को मापते है। अतः परीक्षा महत्त्वपूर्ण होती है।
दसवी और बारहवी की विविध परीक्षाएँ छात्र के जीवन और भविष्य के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं। परंतु हर एक परीक्षा सम्पूर्ण निश्चय और सङ्कल्प से लिखनी चाहिए।
परीक्षा को उत्तम प्रकार से लिखने के लिए, पहले तो अभ्यास उत्तम करना चाहिए। परीक्षा के समय हमारा ध्यान दूसरी ओर नहीं जाना चाहिए। कपट न करना और सत्य के मार्ग से चलना परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रधान होते हैं।
अन्त में, किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें परिश्रम करना चाहिए। इसलिए, परीक्षा हो, या अन्य कोई कार्य, हमें सब कुछ उचित ही करना चाहिए।