Essay on Lokmanya Tilak in Sanskrit
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लोकमान्यटिळकमहोदयः इति विषये संस्कृते निबन्धः।
भारतदेशे नैके नेतारः अभवन्। तेषु लोकमान्यः बालगङ्गाधरटिळकहमहोदयः एकः सुप्रसिद्धः नेता।
महोदयस्य जन्म १८५६ तमे वर्षे जुलैमासस्य त्रयोविंशतितमे दिनाङ्के अभवत्। महाराष्ट्रराज्ये ‘रत्नागिरि’ इति तस्य ज्न्मभूमिः। तस्य पिता अध्यापकः आसीत्।
महोदयः महान् देशभक्तः आसीत्। सः भरतमातुः सुपुत्रः। “स्वराज्यम् इति मम जन्मसिद्धः अधिकारः, तं च अहं लभेय” इति तस्य ध्येयवाक्यम्। भारतस्य स्वतन्त्रतासङ्ग्रामे सः प्रमुखः नेता आसीत्। स्वतन्त्रतायै सः कारागृहम् अपि अगच्छत्। महती देशभक्तिः तस्य स्वभाववैशिष्ट्यम्।
टिळकमहोदयस्य उपाधिः ‘लोकमान्यः’ इति। संस्कृतभाषा तस्य प्रियभाषा। गणितशास्त्रे तस्य रुचिः। ‘गीतारहस्यम्’ इति तस्य प्रसिद्धः ग्रन्थः। केसरी-मराठा-वृत्तपत्रयोः सः सम्पादकः आसीत्। तेन सार्वजनिकगणेशोत्सवः शिवजयन्ती-उत्सवः च आरब्धौ।
लोकमान्यः टिळकमहोदयः १९२० तमे वर्षे अगस्तमासस्य प्रथमे दिनाङ्के दिवङ्गतः। टिळकमहोदयस्य भारते बहु योगदानम् अस्ति। सः मम प्रियः नेता।
Essay on Lokmanya Tilak
There have been many leaders in India. Out of them Lokmanya Bal Gangadhar Tilak is a famous leader.
Tilak was born on 23 July 1856. He was born in Ratnagiri, Maharashtra. His father was a teacher.
Tilak was a great patriot. “Independence is my birthright and I must gain it” was his motto. He was a major leader in the Indian Independence Movement. He was even sentenced to jail because of his part in the Indian Independence Movement. Great patriotism was his special characteristic.
Tilak was honoured by the people with the title Lokmanya. Sanskrit was his favourite language. Mathematics was his favourite subject. ‘Geetarahasya’ is a well known book written by him. He also published two newspapers, Kesari and Maratha. He also started the traditions of Public Ganeshotsav and the festival of Shivjayanti.
Lokmanya Tilak passed away on 1st August 1920. He has contributed a lot to India. He is my favourite leader.
लोकमान्य तिलक पर निबंध
भारत में कई नेता हुए हैं। उनमें से लोकमान्य बालगंगाधर तिलक एक प्रसिद्ध नेता हैं।
तिलक का जन्म २३ जुलाई १८५६ को हुआ था। उनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। उसके पिता शिक्षक थे।
तिलक एक महान देशभक्त थे। “स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मुझे इसे अवश्य प्राप्त करना चाहिए” उनका ध्येयवाक्य था। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख नेता थे। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल की सजा भी हुई थी। महान देशभक्ति उनकी विशेषता थी।
‘लोकमान्य’ की उपाधि से लोगों ने तिलक को सम्मानित किया। संस्कृत उनकी प्रिय भाषा थी। गणित उनका प्रिय विषय था। ‘गीतारहस्य’ उनके द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध पुस्तक है। उन्होंने दो समाचार पत्र, केसरी और मराठा भी प्रकाशित किए। उन्होंने सार्वजनिक गणेशोत्सव और शिवजयंती के त्योहार की परंपरा भी शुरू की।
१ अगस्त १९२० को लोकमान्य तिलक का निधन हो गया। उन्होंने भारत के लिए बहुत योगदान दिया है। वह मेरे पसंदीदा नेता हैं।