पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधितः।
किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः॥
pustake paṭhitaḥ pāṭhaḥ jīvane naiva sādhitaḥ।
kiṃ bhavet tena pāṭhena jīvane yo na sārthakaḥ॥
यदि पुस्तक में पढ़े गए पाठ का जीवन में उपयोग नहीं किया गया तो ऐसे पाठ को पढ़के जीवन में क्या लाभ?
If a lesson learnt from a book is not implemented in life, then the lesson learnt is of no use.