Sanskrit
प्रथमे नार्जिता विद्या द्वितीये नार्जितं धनम्।
तृतीये नार्जितं पुण्यं चतुर्थे किं करिष्यति॥
prathame nārjitā vidyā dvitīye nārjitaṃ dhanam।
tṛtīye nārjitaṃ puṇyaṃ caturthe kiṃ kariṣyati॥
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भावार्थ
जिस व्यक्ति ने पहले आश्रम में (ब्रम्हचर्य) विद्या अर्जित नहीं की, दूसरे आश्रम में (गृहस्थ) धन अर्जित नहीं किया, तीसरे आश्रम में (वानप्रस्थ) पुण्य अर्जित नहीं किया, वह मनुष्य चौथे आश्रम में (संन्यास) क्या करेगा?
Meaning in English
The one who has not earned Vidya (knowledge) in the first Ashrama (Brahmacharya), not earned Dhana (wealth) in the second Ashrama (Grihastha), not earned Punya (good deeds) in the third Ashrama (Vanaprastha), what will he do in the fourth Ashrama (Sanyasa)?