Essay on Savitribai Phule in Sanskrit
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सावित्रीबाईफुलेमहोदया इति विषये संस्कृते निबन्धः।
सावित्रीबाईफुलेमहोदया महाराष्ट्रराज्यस्य प्रथमा महिला शिक्षिका आसीत्।
तस्याः जन्म जनवरीमासस्य तृतीयदिने अष्टादशशत-एकत्रिंशत्तमे (१८३१) वर्षे महाराष्ट्रराज्यस्य ‘नायगाव’ इति स्थाने अभवत्।
तस्याः माता लक्ष्मीबाईमहोदया पिता च खण्डोजीमहोदयः।
ज्योतिबाफुलेमहोदयः तस्याः पतिः।
ज्योतिबाफुलेमहोदयः स्त्रीशिक्षायाः प्रबलः समर्थकः आसीत्।
सावित्रीबाईमहोदया तस्याः पत्युः सहाय्येन शिक्षणं गृहीतवती, सा आङ्ग्लभाषायाम् अपि अध्ययनं कृतवती।
अष्टादशशत-अष्टचत्वारिंशत्तमे (१८४८) वर्षे पुण्यनगरे सावित्रीबाईमहोदयया कन्याभ्यः प्रदेशस्य प्रथमः विद्यालयः ज्योतिबामहोदयेन सह स्थापितः।
सा मनुष्याणां समानतायाः स्वतन्त्रतायाः च पक्षस्य सर्वदा समर्थनम् अकरोत्।
सावित्रीबाईमहोदया महिलानां विधवानां च सहायतायै संस्थाः अस्थापयत्।
सा दुर्भिक्षकाले प्लेगकाले च पीडितजनानां सहाय्यम् अकरोत्।
तस्मिन् एव रोगप्रसारकाले सावित्रीबाई महोदया स्वयम् असाध्यरोगेण ग्रस्ता अष्टादशशत-सप्तनवतितमे वर्षे (१८९७) दिवङ्गता।
Essay on Savitribai Phule
Savitribai Phule was the first female teacher in Maharashtra.
She was born on 3 January 1831 in Naigaon in Maharashtra.
Her mother was Lakshmibai and father was Khandoji.
Jyotiba Phule was her husband.
Jyotiba Phule was a great supporter of education for women.
Savitribai received education with the help of her husband and even learned English.
Savitribai started the first school for girls in the region in 1848 with Jyotiba Phule.
She always supported the equality and independence of all humans.
Savitribai also founded many organisations for the upliftment of women and widows.
She also helped people during droughts and the plague.
In that time itself, Savitribai passed away in 1897 due to the incurable disease.
सावित्रीबाई फुले पर निबंध
सावित्रीबाई फुले महोदया महाराष्ट्र राज्य की पहली महिला शिक्षिका थीं।
उनका जन्म ३ जनवरी १८३१ को महाराष्ट्र के नायगाँव में हुआ था।
उनकी माँ लक्ष्मीबाई थी और पिता खंडोजी थे।
ज्योतिबा फुले उनके पति थे।
ज्योतिबा फुले महिलाओं की शिक्षा के प्रबल समर्थक थे।
सावित्रीबाई महोदया ने उनके पति की सहायता से शिक्षा प्राप्त की और अंग्रेजी भी सीखी।
सावित्रीबाई महोदया ने 1848 में ज्योतिबा फुले के साथ प्रदेश में लड़कियों के लिए पहला विद्यालय स्थापित किया।
उन्होंने हमेशा सभी मनुष्यों की समानता और स्वतंत्रता के पक्ष का समर्थन किया।
सावित्रीबाई महोदया ने महिलाओं और विधवाओं के सहायता के लिए कई संगठन स्थापित किये।
उन्होंने सूखे और प्लेग के समय लोगों की मदद की।
उसी महामारी के समय 1897 में असाध्य रोग से सावित्रीबाई महोदया का स्वर्गवास हो गया।