Sanskrit Word Forms - Nouns
शब्दरूपाणि (Śabdarūpāṇi)
Chapter
4
Skill Level
Intermediate
Language
Sanskrit explained in English
Overview
Hope you have understood and learnt Word Classes, Grammatical Numbers, Persons & Genders, Cases & Tenses in chapter 1, 2 & 3 respectively.
This is the Fourth chapter in this series which explains the Sanskrit Word Forms of various Sanskrit Nouns.
शब्दरूपाणि (Śabdarūpāṇi) are word cases in Sanskrit. They are influenced by the प्रकृतिः (Prakṛtiḥ), लिङ्गम् (Liṅgam) and of the प्रातिपदिकम् (Prātipadikam).
Learning this chapter will help you:
- Understand Sanskrit Word Forms
Who is the chapter for?
- A person interested in learning Sanskrit.
- One who wants to learn Sanskrit Word Forms - Nouns
Word Forms
शब्दरूपाणि (Śabdarūpāṇi)
Each word form has a specific meaning which is known as its कारकम् (Kārakam) and the group in which it belongs is known as the विभक्तिः (Vibhaktiḥ).
Sanskrit Word forms for words of a particular kind are generally similar, e.g. If the word forms of the Prātipadikam, ‘देव (Deva)’ which is an अकारान्तः (Akārāntaḥ) (ending in अ (a)) पुल्लिङ्गम् (Pulliṅgam) (masculine gender) word are used, they will be similar for Akārāntaḥ Pulliṅgam words.
However, there are some words, which have slightly different forms, despite having the same letter at the ending and the same grammatical gender. Some of these specific words have been given in this post.
A few of the most common words are listed down below, which will be helpful for your understanding:
स्वरान्तशब्दरूपाणि
Here, the words which have vowels, or ‘स्वराः’ at their end are listed out.
अकारान्ताः/आकारान्ताः शब्दाः
‘देव’ शब्दः – अकारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
देवः | देवौ | देवाः | प्रथमा |
देवम् | देवौ | देवान् | द्वितिया |
देवेन | देवाभ्याम् | देवैः | तृतीया |
देवाय | देवाभ्याम् | देवेभ्यः | चतुर्थी |
देवात् | देवाभ्याम् | देवेभ्यः | पञ्चमी |
देवस्य | देवयोः | देवानाम् | षष्ठी |
देवे | देवयोः | देवेषु | सप्तमी |
हे देव! | हे देवौ! | हे देवाः! | सम्बोधनम् |
‘माला’ शब्दः – आकारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
माला | माले | मालाः | प्रथमा |
मालाम् | माले | मालाः | द्वितिया |
मालया | मालाभ्याम् | मालाभिः | तृतीया |
मालायै | मालाभ्याम् | मालाभ्यः | चतुर्थी |
मालायाः | मालाभ्याम् | मालाभ्यः | पञ्चमी |
मालायाः | मालयोः | मालानाम् | षष्ठी |
मालायाम् | मालयोः | मालासु | सप्तमी |
हे माले! | हे माले! | हे मालाः! | सम्बोधनम् |
‘वन’ शब्दः – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
वनम् | वने | वनानि | प्रथमा |
वनम् | वने | वनानि | द्वितिया |
वनेन | वनाभ्याम् | वनैः | तृतीया |
वनाय | वनाभ्याम् | वनेभ्यः | चतुर्थी |
वनात् | वनाभ्याम् | वनेभ्यः | पञ्चमी |
वनस्य | वनयोः | वनानाम् | षष्ठी |
वने | वनयोः | वनेषु | सप्तमी |
हे वन! | हे वने! | हे वनानि! | सम्बोधनम् |
इकारान्ताः/ईकारान्ताः शब्दाः
‘मुनि’ शब्दः – इकारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
मुनिः | मुनी | मुनयः | प्रथमा |
मुनिम् | मुनी | मुनीन् | द्वितिया |
मुनिना | मुनिभ्याम् | मुनिभिः | तृतीया |
मुनये | मुनिभ्याम् | मुनिभ्यः | चतुर्थी |
मुनेः | मुनिभ्याम् | मुनिभ्यः | पञ्चमी |
मुनेः | मुन्योः | मुनीनाम् | षष्ठी |
मुनौ | मुन्योः | मुनिषु | सप्तमी |
हे मुने! | हे मुनी! | हे मुनयः! | सम्बोधनम् |
‘मति’ शब्दः – इकारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
मतिः | मती | मतयः | प्रथमा |
मतिम् | मती | मतीः | द्वितिया |
मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः | तृतीया |
मत्यै/मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः | चतुर्थी |
मत्याः/मतेः | मतिभ्याम् | मतिभ्यः | पञ्चमी |
मत्याः/मतेः | मत्योः | मतीनाम् | षष्ठी |
मत्याम्/मतौ | मत्योः | मतिषु | सप्तमी |
हे मते! | हे मती! | हे मतयः! | सम्बोधनम् |
‘वारि’ शब्दः – इकारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
वारि | वारिणी | वारीणि | प्रथमा |
वारि | वारिणी | वारीणि | द्वितिया |
वारिणा | वारिभ्याम् | वारिभिः | तृतीया |
वारिणे | वारिभ्याम् | वरिभ्यः | चतुर्थी |
वारिणः | वारिभ्याम् | वरिभ्यः | पञ्चमी |
वारिणः | वारिणोः | वारीणाम् | षष्ठी |
वारिणि | वारिणोः | वारिषु | सप्तमी |
हे वारे/वारि! | हे वारिणी! | हे वारीणि! | सम्बोधनम् |
‘नदी’ शब्दः – ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
नदी | नद्यौ | नद्यः | प्रथमा |
नदीम् | नद्यौ | नदीः | द्वितीया |
नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः | तृतीया |
नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः | चतुर्थी |
नद्याः | नदीभ्याम् | नदीभ्यः | पञ्चमी |
नद्याः | नद्योः | नदीनाम् | षष्ठी |
नद्याम् | नद्योः | नदीषु | सप्तमी |
हे नदि! | हे नद्यौ! | हे नद्यः! | सम्बोधनम् |
‘पति’ शब्दः – इकारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
पतिः | पती | पतयः | प्रथमा |
पतिम् | पती | पतीन् | द्वितीया |
पत्या | पतिभ्याम् | पतिभिः | तृतीया |
पत्ये | पतिभ्याम् | पतिभ्यः | चतुर्थी |
पत्युः | पतिभ्याम् | पतिभ्यः | पञ्चमी |
पत्युः | पत्योः | पतीनाम् | षष्ठी |
पत्यौ | पत्योः | पतिषु | सप्तमी |
हे पते! | हे पती! | हे पतयः! | सम्बोधनम् |
‘अक्षि’ शब्दः – इकारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
अक्षि | अक्षिणी | अक्षीणि | प्रथमा |
अक्षि | अक्षिणी | अक्षीणि | द्वितीया |
अक्ष्णा | अक्षिभ्याम् | अक्षिभिः | तृतीया |
अक्ष्णे | अक्षिभ्याम् | अक्षिभ्यः | चतुर्थी |
अक्ष्णः | अक्षिभ्याम् | अक्षिभ्यः | पञ्चमी |
अक्ष्णः | अक्ष्णोः | अक्ष्णाम् | षष्ठी |
अक्ष्णि/अक्षणि | अक्ष्णोः | अक्षिषु | सप्तमी |
हे अक्षे/अक्षि! | हे अक्षिणी! | हे अक्षीणि! | सम्बोधनम् |
‘स्त्री’ शब्दः – ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
स्त्री | स्त्रियौ | स्त्रियः | प्रथमा |
स्त्रियम्/स्त्रीम् | स्त्रियौ | स्त्रीः | द्वितीया |
स्त्रिया | स्त्रीभ्याम् | स्त्र्रिभिः | तृतीया |
स्त्रियै | स्त्रीभ्याम् | स्त्रीभ्यः | चतुर्थी |
स्त्रियाः | स्त्रीभ्याम् | स्त्रीभ्यः | पञ्चमी |
स्त्रियाः | स्त्रियोः | स्त्रीणाम् | षष्ठी |
स्त्रियाम् | स्त्रियोः | स्त्रीषु | सप्तमी |
हे स्त्रि! | हे स्त्रियौ! | हे स्त्रियः! | सम्बोधनम् |
उकारान्ताः/ऊकारान्ताः शब्दाः
‘भानु’ शब्दः – उकारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
भानुः | भानू | भानवः | प्रथमा |
भानुम् | भानू | भानून् | द्वितीया |
भानुना | भानुभ्याम् | भानुभिः | तृतीया |
भानवे | भानुभ्याम् | भानुभ्यः | चतुर्थी |
भानोः | भानुभ्याम् | भानुभ्यः | पञ्चमी |
भानोः | भान्वोः | भानूनाम् | षष्ठी |
भानौ | भान्वोः | भानुषु | सप्तमी |
हे भानो! | हे भानू! | हे भानवः! | सम्बोधनम् |
‘धेनु’ शब्दः – उकारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
धेनुः | धेनू | धेनवः | प्रथमा |
धेनुम् | धेनू | धेनूः | द्वितीया |
धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभिः | तृतीया |
धेन्वै/धेनवे | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः | चतुर्थी |
धेन्वाः/धेनोः | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः | पञ्चमी |
धेन्वाः/धेनोः | धेन्वोः | धेनूनाम् | षष्ठी |
धेन्वाम्/धेनौ | धेन्वोः | धेनुषु | सप्तमी |
हे धेनो! | हे धेनू! | हे धेनवः! | सम्बोधनम् |
‘मधु’ शब्दः – उकारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
मधु | मधुनी | मधूनि | प्रथमा |
मधु | मधुनी | मधूनि | द्वितीया |
मधुना | मधुभ्याम् | मधुभिः | तृतीया |
मधुने | मधुभ्याम् | मधुभ्यः | चतुर्थी |
मधुनः | मधुभ्याम् | मधुभ्यः | पञ्चमी |
मधुनः | मधुनोः | मधूनाम् | षष्ठी |
मधुनि | मधुनोः | मधुषु | सप्तमी |
हे मधु/मधो! | हे मधुनी! | हे मधूनि! | सम्बोधनम् |
‘वधू’ शब्दः – ऊकारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
वधूः | वध्वौ | वध्वः | प्रथमा |
वधूम् | वध्वौ | वधूः | द्वितीया |
वध्वा | वधूभ्याम् | वधूभिः | तृतीया |
वध्वै | वधूभ्याम् | वधूभ्यः | चतुर्थी |
वध्वाः | वधूभ्याम् | वधूभ्यः | पञ्चमी |
वध्वाः | वध्वोः | वधूनाम् | षष्ठी |
वध्वाम् | वध्वोः | वधूषु | सप्तमी |
हे वधु! | हे वध्वौ! | हे वध्वः! | सम्बोधनम् |
ऋकारान्ताः शब्दाः
‘पितृ’ शब्दः – ऋकारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
पिता | पितरौ | पितरः | प्रथमा |
पितरम् | पितरौ | पितॄन् | द्वितीया |
पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः | तृतीया |
पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्यः | चतुर्थी |
पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः | पञ्चमी |
पितुः | पित्रोः | पितॄणाम् | षष्ठी |
पितरि | पित्रोः | पितृषु | सप्तमी |
हे पितः! | हे पितरौ! | हे पितरः! | सम्बोधनम् |
‘मातृ’ शब्दः – ऋकारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
माता | मातरौ | मातरः | प्रथमा |
मातरम् | मातरौ | मातॄः | द्वितीया |
मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभिः | तृतीया |
मात्रे | मातृभ्याम् | मातृभ्यः | चतुर्थी |
मातुः | मातृभ्याम् | मातृभ्यः | पञ्चमी |
मातुः | मात्रोः | मातॄणाम् | षष्ठी |
मातरि | मात्रोः | मातृषु | सप्तमी |
हे मातः! | हे मातरौ! | हे मातरः! | सम्बोधनम् |
‘धातृ’ शब्दः (विशेषणपदम्) – ऋकारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
धातृ | धातृणी | धातॄणि | प्रथमा |
धातृ | धातृणी | धातॄणि | द्वितीया |
धात्रा/धातृणा | धातृभ्याम् | धातृभिः | तृतीया |
धात्रे/धातृणे | धातृभ्याम् | धातृभ्यः | चतुर्थी |
धातुः/धातृणः | धातृभ्याम् | धातृभ्यः | पञ्चमी |
धातुः/धातृणः | धात्रोः/धातृणोः | धातॄणाम् | षष्ठी |
धातरि/धातृणि | धात्रोः/धातृणोः | धातृषु | सप्तमी |
हे धातः/धातृ! | हे धातृणी! | हे धातॄणि! | सम्बोधनम् |
‘गो’ शब्दः’ – ओकारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
गौः | गावौ | गावः | प्रथमा |
गाम् | गावौ | गाः | द्वितीया |
गवा | गोभ्याम् | गोभिः | तृतीया |
गवे | गोभ्याम् | गोभ्यः | चतुर्थी |
गोः | गोभ्याम् | गोभ्यः | पञ्चमी |
गोः | गवोः | गवाम् | षष्ठी |
गवि | गवोः | गोषु | सप्तमी |
हे गौः! | हे गावौ! | हे गावः! | सम्बोधनम् |
व्यञ्जनान्तशब्दरूपाणि
त्कारान्ताः शब्दाः
‘भूभृत्’ शब्दः – त्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
भूभृत् | भूभृतौ | भूभृतः | प्रथमा |
भूभृतम् | भूभृतौ | भूभृतः | द्वितीया |
भूभृता | भूभृद्भ्याम् | भूभृद्भिः | तृतीया |
भूभृते | भूभृद्भ्याम् | भूभृद्भ्यः | चतुर्थी |
भूभृतः | भूभृद्भ्याम् | भूभृद्भ्यः | पञ्चमी |
भूभृतः | भूभृतोः | भूभृताम् | षष्ठी |
भूभृति | भूभृतोः | भूभृत्सु | सप्तमी |
हे भूभृत्! | हे भूभृतौ! | हे भूभृतः! | सम्बोधनम् |
‘सरित्’ शब्दः – त्कारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
सरित् | सरितौ | सरितः | प्रथमा |
सरितम् | सरितौ | सरितः | द्वितीया |
सरिता | सरिद्भ्याम् | सरिद्भिः | तृतीया |
सरिते | सरिद्भ्याम् | सरिद्भ्यः | चतुर्थी |
सरितः | सरिद्भ्याम् | सरिद्भ्यः | पञ्चमी |
सरितः | सरितोः | सरिताम् | षष्ठी |
सरिति | सरितोः | सरित्सु | सप्तमी |
हे सरित्! | हे सरितौ! | हे सरितः! | सम्बोधनम् |
‘जगत्’ शब्दः – त्कारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
जगत् | जगती | जगन्ति | प्रथमा |
जगत् | जगती | जगन्ति | द्वितीया |
जगता | जगद्भ्याम् | जगद्भिः | तृतीया |
जगते | जगद्भ्याम् | जगद्भ्यः | चतुर्थी |
जगतः | जगद्भ्याम् | जगद्भ्यः | पञ्चमी |
जगतः | जगतोः | जगताम् | षष्ठी |
जगति | जगतोः | जगत्सु | सप्तमी |
हे जगत्! | हे जगती! | हे जगन्ति! | सम्बोधनम् |
‘भगवत्’ शब्दः – त्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
भगवान् | भगवन्तौ | भगवन्तः | प्रथमा |
भगवन्तम् | भगवन्तौ | भगवतः | द्वितीया |
भगवता | भगवद्भ्याम् | भगवद्भिः | तृतीया |
भगवते | भगवद्भ्याम् | भगवद्भ्यः | चतुर्थी |
भगवतः | भगवद्भ्याम् | भगवद्भ्यः | पञ्चमी |
भगवतः | भगवतोः | भगवताम् | षष्ठी |
भगवति | भगवतोः | भगवत्सु | सप्तमी |
हे भगवन्! | हे भगवन्तौ! | हे भगवन्तः! | सम्बोधनम् |
‘सत्’ शब्दः – त्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
प्रथमा | द्वितीया | तृतीया | विभक्तिः |
सन् | सन्तौ | सन्तः | प्रथमा |
सन्तम् | सन्तौ | सतः | द्वितीया |
सता | सद्भ्याम् | सद्भिः | तृतीया |
सते | सद्भ्याम् | सद्भ्यः | चतुर्थी |
सतः | सद्भ्याम् | सद्भ्यः | पञ्चमी |
सतः | सतोः | सताम् | षष्ठी |
सति | सतोः | सत्सु | सप्तमी |
हे सन्! | हे सन्तौ! | हे सन्तः! | सम्बोधनम् |
द्कारान्ताः शब्दाः
‘सुहृद्’ शब्दः – द्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
सुहृद् | सुहृदौ | सुहृदः | प्रथमा |
सुहृदम् | सुहृदौ | सुहृदः | द्वितीया |
सुहृदा | सुहृद्भ्याम् | सुहृद्भिः | तृतीया |
सुहृदे | सुहृद्भ्याम् | सुहृद्भ्यः | चतुर्थी |
सुहृदः | सुहृद्भ्याम् | सुहृद्भ्यः | पञ्चमी |
सुहृदः | सुहृदोः | सुहृदाम् | षष्ठी |
सुहृदि | सुहृदोः | सुहृत्सु | सप्तमी |
हे सुहृद्! | हे सुहृदौ! | हे सुहृदः! | सम्बोधनम् |
‘विपद्’ शब्दः – द्कारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
विपद् | विपदौ | विपदः | प्रथमा |
विपदम् | विपदौ | विपदः | द्वितीया |
विपदा | विपद्भ्याम् | विपद्भिः | तृतीया |
विपदे | विपद्भ्याम् | विपद्भ्यः | चतुर्थी |
विपदः | विपद्भ्याम् | विपद्भ्यः | पञ्चमी |
विपदः | विपदोः | विपदाम् | षष्ठी |
विपदि | विपदोः | विपत्सु | सप्तमी |
हे विपद्! | हे विपदौ! | हे विपदः! | सम्बोधनम् |
ध्कारान्ताः शब्दाः
‘वीरुध्’ शब्दः – ध्कारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
वीरुत्/वीरुद् | वीरुधौ | वीरुधः | प्रथमा |
वीरुधम् | वीरुधौ | वीरुधः | द्वितीया |
वीरुधा | वीरुद्भ्याम् | वीरुद्भिः | तृतीया |
वीरुधे | वीरुद्भ्याम् | वीरुद्भ्यः | चतुर्थी |
वीरुधः | वीरुद्भ्याम् | वीरुद्भ्यः | पञ्चमी |
वीरुधः | वीरुधोः | वीरुधाम् | षष्ठी |
वीरुधि | वीरुधोः | वीरुत्सु | सप्तमी |
हे वीरुध्! | हे वीरुधौ! | हे वीरुधः! | सम्बोधनम् |
च्कारान्ताः शब्दाः
‘वाच्’ शब्दः – च्कारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
वाक्/वाग् | वाचौ | वाचः | प्रथमा |
वाचम् | वाचौ | वाचः | द्वितीया |
वाचा | वाग्भ्याम् | वाग्भिः | तृतीया |
वाचे | वाग्भ्याम् | वाग्भ्यः | चतुर्थी |
वाचः | वाग्भ्याम् | वाग्भ्यः | पञ्चमी |
वाचः | वाचोः | वाचाम् | षष्ठी |
वाचि | वाचोः | वाक्षु | सप्तमी |
हे वाक्/वाग्! | हे वाचौ! | हे वाचः! | सम्बोधनम् |
ज्कारान्ताः शब्दाः
‘वणिज्’ शब्दः – ज्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
वणिक्/वणिग् | वणिजौ | वणिजः | प्रथमा |
वणिजम् | वणिजौ | वणिजः | द्वितीया |
वणिजा | वणिग्भ्याम् | वणिग्भिः | तृतीया |
वणिजे | वणिग्भ्याम् | वणिग्भ्यः | चतुर्थी |
वणिजः | वणिग्भ्याम् | वणिग्भ्यः | पञ्चमी |
वणिजः | वणिजोः | वणिजाम् | षष्ठी |
वणिजि | वणिजोः | वणिक्षु | सप्तमी |
हे वणिक्/वणिग्! | हे वणिजौ! | हे वणिजः! | सम्बोधनम् |
श्कारान्ताः शब्दाः
‘दिश्’ शब्दः – श्कारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
दिक्/दिग् | दिशौ | दिशः | प्रथमा |
दिशम् | दिशौ | दिशः | द्वितीया |
दिशा | दिग्भ्याम् | दिग्भिः | तृतीया |
दिशे | दिग्भ्याम् | दिग्भ्यः | चतुर्थी |
दिशः | दिग्भ्याम् | दिग्भ्यः | पञ्चमी |
दिशः | दिशोः | दिशाम् | षष्ठी |
दिशि | दिशोः | दिक्षु | सप्तमी |
हे दिक्/दिग्! | हे दिशौ! | हे दिशः! | सम्बोधनम् |
स्कारान्ताः शब्दाः
‘चन्द्रमस्’ शब्दः – स्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
चन्द्रमाः | चन्द्रमसौ | चन्द्रमसः | प्रथमा |
चन्द्रमसम् | चन्द्रमसौ | चन्द्रमसः | द्वितीया |
चन्द्रमसा | चन्द्रमोभ्याम् | चन्द्रमोभिः | तृतीया |
चन्द्रमसे | चन्द्रमोभ्याम् | चन्द्रमोभ्यः | चतुर्थी |
चन्द्रमसः | चन्द्रमोभ्याम् | चन्द्रमोभ्यः | पञ्चमी |
चन्द्रमसः | चन्द्रमसोः | चन्द्रमसाम् | षष्ठी |
चन्द्रमसि | चन्द्रमसोः | चन्द्रमस्सु | सप्तमी |
हे चन्द्रमस्! | हे चन्द्रमसौ! | हे चन्द्रमसः! | सम्बोधनम् |
‘अप्सरस्’ शब्दः – स्कारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
अप्सराः | अप्सरसौ | अप्सरसः | प्रथमा |
अप्सरसम् | अप्सरसौ | अप्सरसः | द्वितीया |
अप्सरसा | अप्सरोभ्याम् | अप्सरोभिः | तृतीया |
अप्सरसे | अप्सरोभ्याम् | अप्सरोभ्यः | चतुर्थी |
अप्सरसः | अप्सरोभ्याम् | अप्सरोभ्यः | पञ्चमी |
अप्सरसः | अप्सरसोः | अप्सरसाम् | षष्ठी |
अप्सरसि | अप्सरसोः | अप्सरस्सु | सप्तमी |
हे अप्सरस्! | हे अप्सरसौ! | हे अप्सरसः! | सम्बोधनम् |
‘मनस्’ शब्दः – स्कारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
मनः | मनसी | मनांसि | प्रथमा |
मनः | मनसी | मनांसि | द्वितीया |
मनसा | मनोभ्याम् | मनोभिः | तृतीया |
मनसे | मनोभ्याम् | मनोभ्यः | चतुर्थी |
मनसः | मनोभ्याम् | मनोभ्यः | पञ्चमी |
मनसः | मनसोः | मनसाम् | षष्ठी |
मनसि | मनसोः | मनस्सु | सप्तमी |
हे मनः! | हे मनसी! | हे मनांसि! | सम्बोधनम् |
‘श्रेयस्’ शब्दः – स्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
श्रेयान् | श्रेयांसौ | श्रेयांसः | प्रथमा |
श्रेयांसम् | श्रेयांसौ | श्रेयांसः | द्वितीया |
श्रेयसा | श्रेयोभ्याम् | श्रेयोभिः | तृतीया |
श्रेयसे | श्रेयोभ्याम् | श्रेयोभ्यः | चतुर्थी |
श्रेयसः | श्रेयोभ्याम् | श्रेयोभ्यः | पञ्चमी |
श्रेयसः | श्रेयसोः | श्रेयसाम् | षष्ठी |
श्रेयसि | श्रेयसोः | श्रेयस्सु | सप्तमी |
हे श्रेयस्! | हे श्रेयांसौ! | हे श्रेयांसः! | सम्बोधनम् |
‘चक्षुस्’ शब्दः – स्कारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
चक्षुः | चक्षुषी | चक्षूंषि | प्रथमा |
चक्षुः | चक्षुषी | चक्षूंषि | द्वितीया |
चक्षुषा | चक्षुर्भ्याम् | चक्षुर्भिः | तृतीया |
चक्षुषे | चक्षुर्भ्याम् | चक्षुर्भ्यः | चतुर्थी |
चक्षुषः | चक्षुर्भ्याम् | चक्षुर्भ्यः | पञ्चमी |
चक्षुषः | चक्षुषोः | चक्षुषाम् | षष्ठी |
चक्षुषि | चक्षुषोः | चक्षुष्षु | सप्तमी |
हे चक्षुः! | हे चक्षुषी! | हे चक्षूंषि! | सम्बोधनम् |
‘विद्वस्’ शब्दः – स्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
विद्वान् | विद्वांसौ | विद्वांसः | प्रथमा |
विद्वांसम् | विद्वांसौ | विदुषः | द्वितीया |
विदुषा | विद्वद्भ्याम् | विद्वद्भिः | तृतीया |
विदुषे | विद्वद्भ्याम् | विद्वद्भ्यः | चतुर्थी |
विदुषः | विद्वद्भ्याम् | विद्वद्भ्यः | पञ्चमी |
विदुषः | विदुषोः | विदुषाम् | षष्ठी |
विदुषि | विदुषोः | विद्वत्सु | सप्तमी |
हे विद्वन्! | हे विद्वांसौ! | हे विद्वांसः! | सम्बोधनम् |
‘पुंस्’ शब्दः – स्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
पुमान् | पुमांसौ | पुमांसः | प्रथमा |
पुमांसम् | पुमांसौ | पुंसः | द्वितीया |
पुंसा | पुम्भ्याम् | पुम्भिः | तृतीया |
पुंसे | पुम्भ्याम् | पुम्भ्यः | चतुर्थी |
पुंसः | पुम्भ्याम् | पुम्भ्यः | पञ्चमी |
पुंसः | पुंसोः | पुंसाम् | षष्ठी |
पुंसि | पुंसोः | पुंसु | सप्तमी |
हे पुमन्! | हे पुमांसौ! | हे पुमांसः! | सम्बोधनम् |
न्कारान्ताः शब्दाः
‘हस्तिन्’ शब्दः – न्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
हस्ती | हस्तिनौ | हस्तिनः | प्रथमा |
हस्तिनम् | हस्तिनौ | हस्तिनः | द्वितीया |
हस्तिना | हस्तिभ्याम् | हस्तिभिः | तृतीया |
हिस्तिने | हस्तिभ्याम् | हस्तिभ्यः | चतुर्थी |
हस्तिनः | हस्तिभ्याम् | हस्तिभ्यः | पञ्चमी |
हस्तिनः | हस्तिनोः | हस्तिनाम् | षष्ठी |
हस्तिनि | हस्तिनोः | हस्तिषु | सप्तमी |
हे हस्तिन्! | हे हस्तिनौ! | हे हस्तिनः! | सम्बोधनम् |
‘मनोहारिन्’ शब्दः (विशेषणपदम्) – न्कारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
मनोहारि | मनोहारिणी | मनोहारीणि | प्रथमा |
मनोहारि | मनोहारिणी | मनोहारीणि | द्वितीया |
मनोहारिणा | मनोहारिभ्याम् | मनोहारिभिः | तृतीया |
मनोहारिणे | मनोहारिभ्याम् | मनोहारिभ्यः | चतुर्थी |
मनोहारिणः | मनोहारिभ्याम् | मनोहारिभ्यः | पञ्चमी |
मनोहारिणः | मनोहारिणोः | मनोहारिणाम् | षष्ठी |
मनोहारिणि | मनोहारिणोः | मनोहारिषु | सप्तमी |
हे मनोहारिन्/मनोहारि! | हे मनोहारिणी! | हे मनोहारीणि! | सम्बोधनम् |
‘राजन्’ शब्दः – न्कारान्तः पुल्लिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
राजा | राजानौ | राजानः | प्रथमा |
राजानम् | राजानौ | राज्ञः | द्वितीया |
राज्ञा | राजभ्याम् | राजभिः | तृतीया |
राज्ञे | राजभ्याम् | राजभ्यः | चतुर्थी |
राज्ञः | राजभ्याम् | राजभ्यः | पञ्चमी |
राज्ञः | राज्ञोः | राज्ञाम् | षष्ठी |
राज्ञि/राजनि | राज्ञोः | राजसु | सप्तमी |
हे राजन्! | हे राजानौ! | हे राजानः! | सम्बोधनम् |
‘सीमन्’ शब्दः – न्कारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
सीमा | सीमानौ | सीमानः | प्रथमा |
सीमानम् | सीमानौ | सीम्नः | द्वितीया |
सीम्ना | सीमभ्याम् | सीमभिः | तृतीया |
सीम्ने | सीम्भ्याम् | सीमभ्यः | चतुर्थी |
सीम्नः | सीमभ्याम् | सीमभ्यः | पञ्चमी |
सीम्नः | सीम्नोः | सीम्नाम् | षष्ठी |
सीम्नि/सीमनि | सीम्नोः | सीमसु | सप्तमी |
हे सीमन्! | हे सीमानौ! | हे सीमानः! | सम्बोधनम् |
‘नामन्’ शब्दः – न्कारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
नाम | नामनी | नामानि | प्रथमा |
नाम | नामनी | नामानि | द्वितीया |
नाम्ना | नामभ्याम् | नामभिः | तृतीया |
नाम्ने | नामभ्याम् | नामभ्यः | चतुर्थी |
नाम्नः | नामभ्याम् | नामभ्यः | पञ्चमी |
नाम्नः | नाम्नोः | नाम्नाम् | षष्ठी |
नाम्नि/नामनि | नाम्नोः | नामसु | सप्तमी |
हे नामन्/नाम! | हे नामनी! | हे नामानि! | सम्बोधनम् |
‘पथिन्’ शब्दः – न्कारान्तः नपुंसकलिङ्गम्
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
पन्थाः | पन्थानौ | पन्थानः | प्रथमा |
पन्थानम् | पन्थानौ | पथः | द्वितीया |
पथा | पथिभ्याम् | पथिभिः | तृतीया |
पथे | पथिभ्याम् | पथिभ्यः | चतुर्थी |
पथः | पथिभ्याम् | पथिभ्यः | पञ्चमी |
पथः | पथोः | पथाम् | षष्ठी |
पथि | पथोः | पथिषु | सप्तमी |
हे पन्थाः! | हे पन्थानौ! | हे पन्थानः! | सम्बोधनम् |
व्कारान्ताः शब्दाः
‘दिव्’ शब्दः – व्कारान्तः शब्दः
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
द्यौः | दिवौ | दिवः | प्रथमा |
दिवम् | दिवौ | दिवः | द्वितीया |
दिवा | द्युभ्याम् | द्युभिः | तृतीया |
दिवे | द्युभ्याम् | द्युभ्यः | चतुर्थी |
दिवः | द्युभ्याम् | द्युभ्यः | पञ्चमी |
दिवः | दिवोः | दिवाम् | षष्ठी |
दिवि | दिवोः | द्युषु | सप्तमी |
हे द्यौः! | हे दिवौ! | हे दिवः! | सम्बोधनम् |
प्कारान्ताः शब्दाः
‘अप्’ शब्दः – प्कारान्तः स्त्रीलिङ्गम्
Note: This particular word is always found in the plural form, i.e. – it is conjugated in any grammatical number except बहुवचनम्.
बहुवचनम् | विभक्तिः |
आपः | प्रथमा |
अपः | द्वितीया |
अद्भिः | तृतीया |
अद्भ्यः | चतुर्थी |
अद्भ्यः | पञ्चमी |
अपाम् | षष्ठी |
अप्सु | सप्तमी |
हे आपः! | सम्बोधनम् |